"बातों में क्यों वक़्त जाया किया जाये,
कुछ वक़्त बस एक-दूसरे में रहा जाये,
जन्नते नसीब करने को, इबादत ही क्यों,
खामोशी से क्यों ना मोह्हबत किया जाये l "
चलो आज खामोश प्यार को इक नाम दे दें,अपनी मुहब्बत को इक प्यारा अंज़ाम दे देंइससे पहले कहीं रूठ न जाएँ मौसम अपने धड़कते हुएअरमानों एक सुरमई शाम दे दें !
आप खुद नही जानती आप कितनी प्यारी हो,
जान तो हमारी पर जान से प्यारी हो,
दूरियों के होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता,
आप कल भी हमारी थी आज भी हमारी हो!!
लाखों तूफान उठे है इस दिल में
तुजे देखने के बाद
काश
जुल्फों की काली घटाओं से ढक पाऊ
ये चाँद सा चेहरा तेरा
धोखा ना देना कि तुझपे ऐतबार बहुत है,
ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है,
तेरी सूरत ना दिखे तो दिखाई कुछ नहीं देता,
हम क्या करें कि तुझसे हमें प्यार बहुत है।