सुनो मेरी गुलाब जामुन
ये जो बड़े बड़े झुमके
तुम अपने छोटे छोटे कानो मैं पहनती हो न
नज़र वहीं ठहर सी जाती है |
ये कैसा सरूर है तेरे इश्क का मेरे मेहरबाँ,
सँवर कर भी रहते हैं बिखरे बिखरे से हम!
तुम्हारे प्यार का मौसम
हर मौसम से प्यारा है
ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-करार,
बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी।
मै खुद लिखता हूँ मोहब्बत
तुम आइने को संवार लो
मै अपनी खुशबु बिखेर देता हूँ
तुम अपनी जुल्फों को सवार लो