निगाहों की बात निगाहों से कर लिया करोमोहब्बत को नजर लगते देर नहीं लगती
हुआ सवेरा तो हम उनके नाम तक भूल गए
जो बुझ गए रात में चरागों की लौ बढ़ाते हुए।