रोने की वजह भी न थी
न हंसने का बहाना था
क्यो हो गए हम इतने बडे
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था!!
भीगी हुयी जिंदगी की यही कहानी है,
कुछ बचपन से नालायक था, बाकी आप सबकी मेहरबानी है.
बचपन में जहाँ चाहा हँस लेते थे, जहाँ चाहा रो लेते थे,
और अब मुस्कान को तमीज चाहिए, और आंशुओं को तन्हाई.
बचपन की कहानी याद नहीं..! बातें वो पुरानी याद नहीं..!! माँ के आँचल का इल्म तो है..! पर वो नींद रूहानी याद नहीं..!!
एक बचपन का जमाना था, जिस में खुशियों का खजाना था.
चाहत चाँद को पाने की थी, पर दिल तितली का दिवाना था.