कसूर तो था इन निगाहों का
जो चुपके से दीदार कर बैठा
हमने तो खामोश रहने की ठानी थी
पर बेवफा यह जुबान इजहार कर बैठा
तबाह होकर भी तबाही दिखती नही,ये इश्क़ है इसकी दवा कहीं बिकती नहीं।
एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का,
सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का।
काश यह जालिम जुदाई न होती!
ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती! न
हम उनसे मिलते न प्यार होता!
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती!
Shayari shayari me izhhar ho jaye.Shayari shayari me ikrar ho jaye.Me tum ko kahu I lovu u.Aur tumhe mujhse pyar ho jaye.