रात भर बेक़रारी की सबब बनी जो सनसनाहट
वो सिर्फ हवा के झोंके थे यादों के आँगन में।
आलम तो ये न था कि दूरियाँ इतनी बढ़ जाये,पर बेक़रारी ने तो हद कर दी।
आलम तो ये न था कि दूरियाँ इतनी बढ़ जाये,
पर बेक़रारी ने तो हद कर दी।