जब तक हार की परवाह करोगे,
जीत भी नसीब नहीं होगी।
शुभ सवेर।
अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर हैं
जिसका अधिक प्रयोग करोगे वो उभरती व निखरती जायगी