"कुछ यूँ मैं सुबह लेके खड़ा रहा,
रात की चौखट पर, मानों कलेजा निकाल
के रख दिया हो उनकी एक आहट पर II - सुप्रभात"
अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर हैं
जिसका अधिक प्रयोग करोगे वो उभरती व निखरती जायगी