किसी को चाहना आकर्षण हो सकता है,
पर उसी को चाहते रहना अवश्य प्रेम है।
हुआ सवेरा तो हम उनके नाम तक भूल गए
जो बुझ गए रात में चरागों की लौ बढ़ाते हुए।