ज़िन्दगी की थकान में ग़ुम हो वो लफ्ज़
जिसे सुकून कहते है
वादे पे वो ऐतबार नहीं करते,हम जिक्र मौहब्बत सरे बाजार नहीं करते,डरता है दिल उनकी रुसवाई से,और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते |
Ek sukoon ki talash me jane kitni bechanni pal liAur log kehte hai hum bade ho gye humne zindgi sambhal li
Kitnaa khouf hota hai shaam ke andheroo mein,
Poonch un parindoo se jin ke ghar nahi hote.
क्रोध हवा का वह झोंका है
जो बुद्धि के दीपक को बुझा देता है
रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो उन्हें
तोड़ना मत क्योंकि पानी चाहे
कतना भी गंदा हो अगर
प्यास नहीं बुझा सकता
पर आग तो बुझा सकता है