फासला अब भी दो क़दमों का ही है,
पहले कदम कौन बढ़ाए, तय ये नहीं है.
बरस रहे बादल आँखे रो रहीतन्हाई हर बात कह रहीजाये तो कहा जायेहर ओर गम की हवा चल रहीबड़ा अजीब मंजर है इश्क कामर चुका मानस मगर साँस चल रही
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर,चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में।
उसने कहा चले जाओ
मेरी ज़िन्दगी से,
मेने कहा कौन हो तुम
भाईसाहब!!
Fasle bohat hai par itna maan lijiye, Qareeb reh ker bhi her koi khas nahi hota,Aap khayalon mein bhi itna qareeb hai,Ke faaslon ka ehsas hi nahi hota.