कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँ ही आँखें,
उदास होने का कोई सबब नहीं होताा!
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा