रखते है हम सफर में सामान बहुत,
जरा सी जिन्दगी और अरमान बहुत.
जब कभी सिमटोगे तुम... मेरी इन बाहों में आकर, मोहब्बत की दास्तां मैं नहीं मेरी धड़कने सुनाएंगी।
जिस जिसका मैं हुआ नहीं
उसकी जिंदगी सवर गयी
मैं राह देखता रहा जाने किसकी
और इन्ही राहों पे ये जिंदगी गुजर गयी
चाहा है तुम्हें अपने अरमान से भी ज्यादा, लगती हो हसीन तुम मुस्कान से भी ज्यादा, मेरी हर धड़कन हर साँस है तुम्हारे लिए, क्या माँगोगे जान मेरी जान से भी ज्यादा।
मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ।