जिस्मों का अंजाम जिस दिन देख लोगे,
उस दिन तुम्हें रूह से मोहब्बत हो जाएगी!
हम तो मज़ाक मे भी किसी को दर्द देने से डरते है ना जाने लोग कैसे सोच समझ कर दिलों से खेल जाते है|
जब इश्क और क्रांति का अंजाम एक ही है तो राँझा बनने से अच्छा है भगतसिंह बन जाओ
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा ,मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे ,मेरा कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा|
खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं, मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं, करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों, तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है.