छु कर निकलती है जो हवाएँ तेरे चेहरे को
सारे शहर का मौसम गुलाबी हो जाता है
यही चेहरा..यही आंखें..यही रंगत निकले, जब कोई ख्वाब तराशूं..तेरी सूरत निकले..
कितने चेहरे थे हमारे आस-पास तुम हि तुम दिल में मगर बसते रहे..!!
Is qadarr tora hai mujhe uss ke bewafayi ne "ghalib"
Ab koi agar pyar se bhi dekhahai to bikhar jata hoon main.
आँखें खुली हो तो चेहरा आपका हो, आँखें बध हो तो सपना आपका हो, हमे मौत का ना दर्र ना ख़ौफ्फ होगा, अगर कफ़न की जगह दुपट्टा आपका हो !