वो तेरा शरमा के मुझसे यूँ लिपट जाना
कसम से हर महीने में सावन सा अहसास देता है
मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में ना बैठोवो बरसो में कभी बरसे, यह बरसो से बरसती है|
ऐ सावन की बारिश जरा थम के बरसजब मेरा सनम आ जाए तो जम के बरसपहले ना बरस कि वो आ न सकेजब वो आ जाए तो इतना बरस कि वो जा न सके
मैं तेरे हिज़ार की बरसात में कब तक भीगू!!ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती है..
Aaj Halki Halki Baarish Hay,Aaj Sard Hawa Ka Raqs Bhi Hay,Aaj Phool Bhi Nikhray Nikhray Hain,Aaj Un Main Tumhara Aks Bhi Hay