जमाने में मिलते हैं आशिक कई, जमाने में मिलते हैं आशिक कई
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता
नोटों में लिपट कर सोने में सिमटकर नोटों में लिपट कर सोने में सिमटकर मरे हैं कई
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता
खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं, मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं, करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों, तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है.
Kuch nasha “TIRANGE” ki aan ka hai,
Kuch nasha “MATRA BHUMI” ki shan ka hai,
Hum lehrayenge har jagah ye “TIRANGE”,
Nasha ye hindustan ka hai....
Zamane bhar me milte hai aashiq kai,
Magar watan se khubsurat koi sanam nahi hota,
Sone ke kafan me lipat mare shashak kai,
Magar Tirange se khubsurat koi kafan nahi hota.
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा ,मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे ,मेरा कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा|