कभी तुम आ जाओ ख्यालों में और मुस्कुरा दूँ मैं,
इसे गर इश्क़ कहते हैं तो हाँ मुझे इश्क़ है तुमसे।
तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत…
गुज़र गया वो वक़्त जब तेरे तलबगार थे हम.
अब खुद भी बन जाओ तो सजदा न करेंगे..!
कितने आंसू बहूँगा उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नहीं….
रोज़ इक ताज़ा शेऱ कहां तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज़ ही एक नयी बात हुआ करती है…
मेरा कारनामा-ए-जिंदगी, मेरी हसरतों के सिवा कुछ नहीं,
ये किया नहीं,वो हुआ नहीं,ये मिला नहीं,वो रहा नहीं....!!