मन का सूरज चमकता रहे, सुख का उपवन महकता रहे।
खुशी आंगन में खेलें सदा, यश का परचम फहरता रहे।
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा
गुज़र गया वो वक़्त जब तेरे तलबगार थे हम.
अब खुद भी बन जाओ तो सजदा न करेंगे..!
कितने आंसू बहूँगा उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नहीं….
पहले नमकफिर निम्बू और अब चारकोल आ गया है.. टूथपेस्ट में।..अरे जालिमो ... अल्कोहल डाल दो,मजा आ जाये सुबह -सुबह.
मैंने कहा की बहुत प्यार आता है तुम पर,
वो मुस्कुरा की बोले और तुम्हे आता ही क्या है......
चलो अच्छा हुआ काम आ गयी दीवानगी अपनी,
वरना हम ज़माने भर को अपनी मोहब्बत समझाने कहाँ जाते?