कुछ लोग जमाने में ऐसे भी तो होते हैं
महफिल में तो हंसते हैं तन्हाई में रोते हैं
ख़ुदा करे कि तुमको “जुदाई” न मिले,
कभी भी तुमको “तन्हाई” ना मिले,
मुझे “Message” ना करो तो कुछ ऐसा हो,
कि मौसम हो सर्दी का और तुमको “रजाई” ना मिले…
तेरे सिवा कौन समा सकता है मेरे दिल में……रूह भी गिरवी रख दी है मैंने तेरी चाहत में !!
“मेरे इश्क में दर्द नहीं था पर दिल मेरा बे दर्द नहीं था,
होती थी मेरी आँखों से नीर की बरसात,
पर उनके लिए आंसू और पानी में फर्क नहीं था ”!
ख़ुशियों की ख़ातिर हमने कितने क़र्ज़ उतार रक्खे हैं
ज़िंदगी फिर भी तूने हमपे कितने दर्द उतार रक्खे हैं
मासूम अगर होता तो सब मिलके लूट लेते
जाने किस अपने ने मेरे दुश्मन उतार रक्खे हैं