इन अल्फाजो की सजावट के लिए ये एक
एहसास ही बहुत है
तुम मोहब्बत हो ना मेरी बस ये बात ही बहुत है
दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे,यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे,वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे..
फिर से मिले वो आज अजनबी से बनकर,और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई।
वो मुस्कुरा के मुकरने
की अदा जानता है
मैं भी आदत बदल
लेता तो सुकून में होता
Mohabbat Aur Maut Dono Ki
Pasand Bhi Ajeeb Hai:
Ek Ko Dil Chahiye:
Aur Dusre ko Dhadkan!