तू मिले या ना मिले ये मेरे नसीब की बात है,
पर सुकून बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर
क्यूट तो मे बचपन से ही हू..
जब पैदा हुआ तब मम्मी को तो क्या,
नसॅ को भी मजबूर कर दिया था चुम्मी लेने को..!!
पके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
सांसों में मेरी खुशबु बनके बिखर जाते हो,
कुछ यूँ चला है तेरे इश्क का जादू,
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।
मैं फ़रमाईश हूँ उसकी, वो इबादत है मेरी, इतनी आसानी से कैसे निकाल दू उसे अपने दिल से, मैं ख्वाब हूँ उसका, वो हकीकत है मेरी…
Is qadarr tora hai mujhe uss ke bewafayi ne "ghalib"
Ab koi agar pyar se bhi dekhahai to bikhar jata hoon main.