कहने को बहुत कुछ बाकी है |
तेरे साथ जिंदगी जीना बाकी है |
खुद को खो के पाया है तुझे |
यही बात तुजे समजना बाकी है |
इस अदा से गर क़तल करोगे,
बे-मौत ही मर जायेंगे परवाने,
शमा रोशन तो हो एक बार,
देखें कितना दम है तेरी रोशनी में..
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.
इश्क की शुरुआत निगाहों से होती है
सजा की शुरुआत गुनाहों से होती है
कहते हैं इश्क भी एक गुनाह है
जिसकी शुरुआत दो बेगुनाहों से होती है
तेरी आवाज़ सुनने को तरसे है मन मेरा,
तेरी एक झलक पाने को बेकरार है मन मेरा,
अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा तेरे साथ गुजारु,
हर पल बस यही चाहता है मन मेरा!!