जब तुम्हारी जिदंगी में ज्यादा धूप होगी
मैं बन के छांव आ जाऊंगा...
खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।डाक से आया है तो कुछ कहा होगा"कोई वादा नहीं... लेकिनदेखें कल वक्त क्या तहरीर करता है!"या कहा हो कि... "खाली हो चुकी हूँ मैंअब तुम्हें देने को बचा क्या है?"सामने रख के देखते हो जबसर पे लहराता शाख का सायाहाथ हिलाता है जाने क्यों?कह रहा हो शायद वो..."धूप से उठके दूर छाँव में बैठो!"सामने रौशनी के रख के देखो तोसूखे पानी की कुछ लकीरें बहती हैं"इक ज़मीं दोज़ दरया, याद हो शायदशहरे मोहनजोदरो से गुज़रता था!"उसने भी वक्त के हवाले सेउसमें कोई इशारा रखा हो... याउसने शायद तुम्हारा खत पाकरसिर्फ इतना कहा कि, लाजवाब हूँ मैं!
Khuwab aankhon se churana meri aadat nhi..!!
kisi apne ko bhulana meri aadat nahi..!!
Palkain bhigo Leta hon apno ki yaad me..!!
Mgr kisi ko rulana meri aadat nahi…!!
किसी भी मुशकिल का अब किसी को हल नही मिलता ,
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नही निकलता
Chalo Baant Lete Hein Kuch
Is Tarah Se Duniya Saari
Chalo Sab Kuch Tum Rakh Lo,
Ek Bus Tum Hamaare..!!