मेरी साँसों में आके बिखर जाओ तो अच्छा हो,
रूह बनके जिस्म में उतर जाओ तो अच्छा हो,
एक रात गोद में तेरी सिर रख के सो जाऊं,
फिर वो रात कभी ख़त्म ना हो तो अच्छा हो।
अब तू नहीं है दुनिया में,
हु अकेला वही खड़ा,
तू मुमताज़ तो बन गयी
मै रह गया निचे पड़ा!
गुलाब को भी कमल बना देते,
उसकी एक अदा पे कई ग़ज़ल बना देते…
कम्भख्त मरती नहीं मुझ पर लडकियां,
वरना लखनऊ में भी ताजमहल बना देते…
Izhar-e-Tamanna Hi Tauheen-e-Tamanna Hai,
Tum Khud Hi Samajh Jaao Main Naam Nahi Lunga.
तुमसे ही रूठ कर तुम्ही को याद करते हैं
हमे तो ठीक से नाराज़ होना भी नही आता
मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा
जिन्हे दावा था वफा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा