“नज़रे मिले तो प्यार हो जाता है !
पलके उठे तो इजहार हो जाता है !
ना जाने क्या कशिश है चाहत मैं !
की कोई अंजान भी हमारी जिंदगी का हकदार हो जाता है।
Na Samet Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,
Kasam Tumhari Tumhein Itni Mohabbat Karte Hain.
बड़ी गरज से चाहा है तुझे
बड़ी दुआओं से पाया है तुझे
तुझे भूलने की सोचूं भी तो कैसे
किस्मत की लकीरों से चुराया तुझे
आ बिछड़ने का कोई और तरीका ढूंढें
प्यार बढ़ता है मेरी जां खफा रहने से
तूने रुख से नक़ाब क्या उठाया,
कम्बखत दिल मुँह को होने लगा,
शर्मा कर , सितारे हैं छुपने लगे,
महताब बादलों से जो निकलने लगा