“कदर करना अगर में तुम्हारी फिक्र करता हूँ !
एक तुम ही हो !
जिसका में सबसे ज्यादा ज़िक्र करता हूँ ।
“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”
सुना है, खुदा के दरबार से कुछ फ़रिश्ते फरार हो गए,
कुछ तो वापस चले गए, और कुछ हमारे यार हो गए
Na Samet Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,
Kasam Tumhari Tumhein Itni Mohabbat Karte Hain.
दिल अब बस तुझे ही चाहता है,तेरी यादों में ये खो जाता है,लग गयी है इस में इश्क की आग ऐसी.के तेरे होंठो को चुमने को दिल चाहता है.