आखिर कह ही डाला उसने एक दिन,
इस कदर टूटे हो बिखर क्यों नही जाते..
कब तक जिओगे ये दर्द भरी जिंदगी,
किसी रात खामोशी से मर क्यों नही जाते..!
निगाहें नाज करती है फलक के आशियाने से,खुदा भी रूठ जाता है किसी का दिल दुखाने से।
मिलने का वादा कर गयी थी,
वापस लौट आउंगी ये कहकर गयी थी,
आई है अब वो जनाज़े पे मेरे,
वादा वो अपना निभाने चली थी!!
ḳhud apne aap se lenā thā intiqām mujhemaiñ apne haath ke patthar se sañgsār huā
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा