मेरे गीत सुने दुनिया वालों ने
मगर मेरा दर्द कोई ना जान सका,
एक तेरा सहारा था दिल को,
तू भी ना मुझे पहचान सका…
चलो यूँ ही सही तुमने माना तो सही
मजबूर कही हम थे ये जाना तो सही
कब कहा हमने की हम बेगुनाह थे
कुछ गुनहगार तुम भी थे ये माना तो सही
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
तुझे चाहा रब से भी ज्यादा फिर भी ना तुझे पा सकेरहे तेरे दिल में मगर तेरी धडकन तक ना जा सकेजुड़के भी तुटी रहि ईश्क कि डोर वेकिस्मत के मारे असी कि करीये किस्मत पे किसका जोर
वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है,कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है.जो मुझे तुझसे जुदा करती है,हाथ की उस लकीर से डर लगता है!