करोगे क्या जो कह दूं की उदास हूं मैं
पास होउ तो गले लगा लूं
दूर हूं तो एहसास हूँ में
निगाहें नाज करती है फलक के आशियाने से,खुदा भी रूठ जाता है किसी का दिल दुखाने से।
हर रात को तुम इतना
याद आते हो के हम भूल गए हैं,
के ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं,
या तुम्हारी यादों के लिए
निकलते है तेरे आशिया के आगे से,
सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा,
खिड़की से तेरी सूरत न सही
तेरा साया तो नजर आएगा…!!
भरोसा क्या करना गैरों पर,जब गिरना और चलना है अपने ही पैरों पर।