अगर, मगर, और काश में हूं…
फिलहाल मैं अपनी ही तलाश में हूं…
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा
ना चाँद की चाहत
ना सितारों की फरमाइश
हर जन्म में तू मिले
मेरी बस यही ख्वाहिश
कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलोबहुत बड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो
तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता हैमैं जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो
Talash uski karo jo pass na ho.
Bhula do usse jispar vihswas na ho.
Ham to apne gam par hans parte hai.
Taaki samne wala udas na ho.