“तुमने समझा ही नहीं और ना समझना चाहा,
हम चाहते ही क्या थे तुमसे “तुम्हारे शिवा।”
ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोच कर गुज़ार दी……
साथ रोती थी हँसा करती थी
एक परी मेरे दिल में बसा करती थी
किस्मत थी हम जुदा हो गए वरना वो
मुझे अपनी तकदीर कहा करती थी
ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता ,
एक ही शख्स था क्या पुरे जहान में .....
मैं उसका हूँ, यह तो मैं जान गया हों लेकिन,
वह किस का है, ये सवाल मुझे सोने नहीं देता......
Itne Lamhe Guzare Hai Tere Saath Humne
Ke Aaj Ek Lamha Tanha Guzarna Mushkil Hain.