” मोहब्बत ” करने वाले आशिक कम
ना होंगे पर तेरी महफिल मे हम ना होंगे
कई बार ली है तुमने तलाशियाँ मेरे दिल की
बताओ कभी कुछ और मिला है तुम्हारे सिवा!!
निगाहें नाज करती है फलक के आशियाने से,खुदा भी रूठ जाता है किसी का दिल दुखाने से।
कागज़ पे लिखी गज़ल, बकरी चबा गयी !
चर्चा पुरे शहर में हुई, की बकरी शेर खा गयी.
“मेरे इश्क में दर्द नहीं था पर दिल मेरा बे दर्द नहीं था,
होती थी मेरी आँखों से नीर की बरसात,
पर उनके लिए आंसू और पानी में फर्क नहीं था ”!