कागजों पे लिख कर जाया कर दूं,
मैं वो शख्स नहीं।
वो शायर हूं, जिसे दिलों पे
लिखने का हुनर आता है।
मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था;
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था;
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर;
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।
एक छुपी हुई पहचान रखता हूँ,
बाहर शांत हूँ, अंदर तूफान रखता हूँ,
रख के तराजू में अपने दोस्त की खुशियाँ,
दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ।
DESH bahkto ki balidaan se,
SWATNATRA huye hai hum..
koi puche kon ho,
to GRAV se kahenge.
Bhartiya hai hum…
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझकोइस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये