मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ,
वो उतनी ही कर सकी वफ़ जितनी उसकी औकात थी…….!
दुनिया में तो चार दिन के मेहमान है,तो आखिर क्यों इतना परेशां इंसान है,मिटटी से बने है मिटटी में मिल जाना है,तो फिर किस बात का अभिमान है।
हुकुमत वो ही करता है जिसका दिलो पर राज हो!!
वरना यूँ तो गली के मुर्गो के सर पे भी ताज होता है!!