जब भी वो मुस्कुराते हैं,
उसे देख लोग खुश हो जाते हैं,
क्या कहना उनकी उस मुस्कान का,
ऐसा लगता है मानो बंद होंठों से अल्फाज निकल आते हैं।
आँखें खुली हो तो चेहरा आपका हो, आँखें बध हो तो सपना आपका हो, हमे मौत का ना दर्र ना ख़ौफ्फ होगा, अगर कफ़न की जगह दुपट्टा आपका हो !
ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा ये झील सी नीली आँखे, कोई राज है इन में गहरा तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया
तेरा चेहरा है आईने जैसा क्यो न देखूहै देखने जैसा तुम कहो तो मैं पूछ लू तुमसे है सवाल एक पूछने जैसा दोस्त मिल जायेगे कई लेकिन न मिलेगा कोई मेरे जैसा तुम अचानक मिले थे जब पहले पल नहीं है वो भूलने जैसा..
यही चेहरा..यही आंखें..यही रंगत निकले, जब कोई ख्वाब तराशूं..तेरी सूरत निकले..