दुसरो की गलतियों से सीखे, आप कभी इतना लम्बा
नही जी सकते की सारी गलतियाँ खुद करने का मौका मिले
ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते
इसलिए उन्होंने माँ को बनाया
परिश्रम वह चाबी है
जो सौभाग्य के द्वार खोलती है
जिसकी नीति अच्छी होगी,
उसकी हमेशा उन्नत होगी,
“मैं श्रेष्ट हूँ”… यह आत्मविश्वास है,
लेकिन
“सिर्फ मैं ही श्रेष्ट हूँ”…यह अहंकार है।
अपने रिश्तों और पैसों की कद्र एक समान करें,
दोनों को कमाना मुश्किल है, लेकिन गवाना बहुत आसान।