हटाओ हाथ आंखों से,
ये तुम हो जानता हूं, मैं।
तुम्हें खुशबू नहीं,
आहट से भी पहचानता हूं, मैं।
तैरना तो आता था हमें मुहब्बत के समंदर में
लेकिन जब उसने हाथ ही ना पकड़ा तो डूब जाना ही अच्छा था
खुदा करे वो मोहब्बत जो तेरे नाम से है,
हजार साल गुजरने पे भी जवान ही रहे।
तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत…
Na Samet Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,
Kasam Tumhari Tumhein Itni Mohabbat Karte Hain.