मुझे क्या पता था कि मोहब्बत ही हो जायेगी,
मुझे तो बस तेरा मुस्कराना अच्छा लगा था !
आज उसकी एक बात ने मुझे मेरी गलती की यूँ सजा दी…
छोड़ कर जाते हुए कह गई,
जब दर्द बर्दाश्त नहीं होता तो मुझ से मोहब्बत क्यूँ की….!!!!
उसके साथ जीने का इक मौका दे दे, ऐ खुदा..
तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे..
Tu hasi chand kisi aur ka sahi
Par tu mere andhere ki roshni he…
Yaad rahega ye dour- E hayaat humko
Ki tarse the zindgi me zindgi ke liye
Us Fiza Mein Bhi Jalta Raha
Mein Kisi Ke Liye…..
Jaha Charaag Bhi Taraste They Roshni Ke Liye…