तुम से दूर जाने की कोशिश में,
और नजदीक आया हूँ मै,
तुम्हारे चाँद से चेहरे के लिए
तारों से झुमके लाया हूँ !
बड़े ही चुपके से भेजा थामेरे महबूब ने मुझे एक गुलाबकम्बख्त उसकी खुशबू नेसारे शहर में हंगामा कर दियाHappy Rose Day
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा
ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोच कर गुज़ार दी……
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खता थी…..
लकीरों को मिटाना चाहा किसी को पाने की खातिर….!!