तुम चाहे बंद कर लो दिल के दरवाजे सारे,
हम दिल मे उतर आएंगे कलम के सहारे !
लोग रूप देखते है ,हम दिल देखते है ,लोग सपने देखते है हम हक़ीकत देखते है,लोग दुनिया मे दोस्त देखते है,हम दोस्तो मे दुनिया देखते है
जिंदगी आ बैठ, ज़रा बात तो सुन,
मुहब्बत कर बैठा हूँ, कोई मशवरा तो दे
काश यह जालिम जुदाई न होती!
ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती! न
हम उनसे मिलते न प्यार होता!
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती!
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.