आँखें मेरी सावन की तरह बरसती है,
उसे एक बार जी भरकर देखने को तरसती है.
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश हैना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है..
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारोंअपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !
Mausam hai barish ka aur yaad tumhari aati hai,
Barish ke har qatre se awaz tumhari aati hai.
Itni Shidat Se To Barsaat Be Kam Kam BarsayJis Traha Ankh Teri Yaad Main Cham Cham BarsayMinatien Kon Kary Aik Gharondy Ke LyeKah Do Baadal Se Barasta Hai To Jam Jam Barsay