तेरे प्रेम की बारिश हो,
मैं जलमगन हो जाऊं,
तुम घटा बन चली आओ,
मैं बादल बन जाऊं !
इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं,
हमने क्या आसूं पिए की मौसम रो पड़े!
मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में ना बैठोवो बरसो में कभी बरसे, यह बरसो से बरसती है|
कभी शोख हैं,
कभी गुम सी है..
ये बारिशे भी तुम सी है..
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश हैना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है..