ज़िन्दगी-ए-बेकरार में यूं सुकूँ बन कर आओ…
ज्यूं सर्द मौसम में दरख़्तों से छन कर धूप आती है!
आलम तो ये न था कि दूरियाँ इतनी बढ़ जाये,पर बेक़रारी ने तो हद कर दी।
आलम तो ये न था कि दूरियाँ इतनी बढ़ जाये,
पर बेक़रारी ने तो हद कर दी।