बेखुदी ने मुझे फिर होश में आने न दिया,
तेरी आँखों को ही मयखाना लिखा है मैंने!
तेरी बेखुदी में लाखो पैगाम लिखते है, तेरे गम में जो गुजरी बातें तमाम लिखते है, अब तो पागल हो गई वो कलम, जिस से हम तेरा नाम लिखते है!!
kon kaheta hai taj mahel banane
ke lie dolat nahi milti.
taj mahel banane ke lie dolat
to milti he magar mohbatt
karne ke lie mumtaj nahi milti
यहाँ से ढूंढ़ कर ले जाये कोई तो मुझ को। जहाँ मैं ढूंढने निकला था बेख़ुदी में तुझे।
बेखुदी में बस एक इरादा कर लिया इस दिल की चाहत को हद से ज्यादा कर लिया जानते थे वो इसे निभा न सकेंगे पर उन्होंने मजाक और हमने वादा कर लिया।