सीढीयों कि जरूरत उन्हें है, जिन्हें छत तक जाना है।
मेरी मंजील तो आसमान है, रास्ता भी खुद ही बनाना है।
परिश्रम वह चाबी है
जो सौभाग्य के द्वार खोलती है
बिना कुछ किये ज़िन्दगी गुज़ार देने से कहीं अच्छा है
ज़िन्दगी को गलतियां करते गुज़ार देना
जिनका कद ऊँचा होता है
वो दूसरों से झुक कर ही बात करते हैं
वर्षों से दहलीज़ पर कड़ी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानो में धीरे से कहती है,
“सब अच्छा होगा”