तू चेहरे की बढ़ती सिलवटों की परवाह न कर…
हम लिखेंगे अपनी शायरी में हमेशा जवाँ तुझको!
Is qadarr tora hai mujhe uss ke bewafayi ne "ghalib"
Ab koi agar pyar se bhi dekhahai to bikhar jata hoon main.
यही चेहरा..यही आंखें..यही रंगत निकले, जब कोई ख्वाब तराशूं..तेरी सूरत निकले..
कितने चेहरे थे हमारे आस-पास तुम हि तुम दिल में मगर बसते रहे..!!
आपने नज़र से नज़र कब मिला दी, हमारी ज़िन्दगी झूमकर मुस्कुरा दी, जुबां से तो हम कुछ भी न कह सके, पर निगाहों ने दिल की कहानी सुना दी!