मोहब्बत भरी नजरों में ख्वाब मिलेंगे
कहीं कांटे तो कहीं गुलाब मिलेंगे
मेरे दिल की किताब को पढ़ के तो देखो
कहीं आपकी याद तो कहीं खुद आप मिलेंगे
मुस्कुराते पलको पे सनम चले आते हैं,आप क्या जानो कहाँ से हमारे गम आते हैं,आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं,जहाँ किसी ने कहा था कि ठहरो हम अभी आते है।
फिर वही फ़साना अफ़साना सुनाती हो
दिल के पास हूँ कह कर दिल जलती हो
बेक़रार है आतिश इ नज़र से मिलने को
तो फिर क्यों नहीं प्यार जताती हो…!!
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.
Hamen Taameer Ke Dhokhe Mein Rakhakar Hamaare Khvaab Chunavaaye Gae Hain