आज प्रकृति नाच रही आज हवाएं महक रही,
भारत मां के होठों पर लाख दुआएं चहक रही!
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा ,मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे ,मेरा कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा|
खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं, मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं, करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों, तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है.
Zamane bhar me milte hai aashiq kai,
Magar watan se khubsurat koi sanam nahi hota,
Sone ke kafan me lipat mare shashak kai,
Magar Tirange se khubsurat koi kafan nahi hota.