मंजिल का नाराज होना भी जायज था !!
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे !!
चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही
लेकिन रवैये अजनबी हो
जाये तो बडी तकलीफ देते हैं
ये किस तरह की ज़िद दिल मुझ से करने लगा, जिसे मैंने भूलना चाहा उसे वो याद करने लगा .
उसने मिलने की अजीब शर्त रखी… गालिब चल के आओ सूखे पत्तों पे लेकिन कोई आहट न हो!
मुझे इस बात का गम नहीं कि बदल गया ज़माना;मेरी जिंदगी तो सिर्फ तुम हो, कहीं तुम ना बदल जाना!